भारत में महिलाओं की वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। हाल के वर्षों में, महिलाओं द्वारा लोन लेने की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में महिलाओं ( Women’s Day Special ) द्वारा लिए गए लोन की संख्या में 22 फीसदी की सालाना दर से वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा न केवल महिलाओं की बढ़ती वित्तीय जागरूकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि महिलाएं अब आर्थिक रूप से अधिक सशक्त हो रही हैं।
महिलाओं द्वारा लिए जाने वाले लोन का बदलता स्वरूप
रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं द्वारा लिए जाने वाले लोन का बड़ा हिस्सा व्यक्तिगत उपयोग के लिए है। 2024 में, व्यवसायों के वित्तपोषण के लिए महिलाओं ने केवल तीन फीसदी लोन लिया, जबकि पर्सनल लोन, उपभोक्ता टिकाऊ ऋण, होम लोन जैसे व्यक्तिगत वित्त उत्पादों के लिए 42 फीसदी और गोल्ड लोन के लिए 38 फीसदी लोन लिए गए। यह आंकड़ा दर्शाता है कि महिलाएं अब न केवल घरेलू जरूरतों के लिए, बल्कि अपने व्यक्तिगत विकास और आर्थिक स्थिरता के लिए भी लोन ले रही हैं।
ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लोन लेने वाली महिलाओं में से 60 फीसदी ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों से हैं। यह आंकड़ा ग्रामीण भारत में महिलाओं की बढ़ती वित्तीय जागरूकता और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अब न केवल घरेलू जरूरतों के लिए, बल्कि छोटे व्यवसाय शुरू करने और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भी लोन ले रही हैं।
महिलाओं की बढ़ती वित्तीय जागरूकता
रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 तक करीब 2.7 करोड़ महिलाएं अपने क्रेडिट स्कोर की निगरानी कर रही थीं। यह आंकड़ा महिलाओं की बढ़ती वित्तीय जागरूकता को दर्शाता है। महिलाएं अब न केवल लोन ले रही हैं, बल्कि अपने क्रेडिट स्कोर को बनाए रखने और सुधारने के लिए भी सक्रिय रूप से प्रयास कर रही हैं। यह उनकी वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
व्यवसायों के लिए लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि
हालांकि, व्यवसायों के लिए लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या अभी भी कम है। 2024 में, व्यवसायों के वित्तपोषण के लिए महिलाओं ने केवल तीन फीसदी लोन लिया। हालांकि, 2019 से व्यवसायों के लिए खोले गए ऋण खातों की संख्या में 4.6 गुना वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि महिलाएं अब धीरे-धीरे व्यवसायिक क्षेत्र में भी अपनी भागीदारी बढ़ा रही हैं।
महिलाओं के लिए वित्तीय समावेशन की आवश्यकता
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि महिलाओं की वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की जरूरतों के अनुरूप समावेशी उत्पादों को डिजाइन करने में वित्तीय संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही, संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने वाली नीतिगत पहल भी इस गति को बढ़ाने में सहायक होगी।
महिलाओं के लिए वित्तीय उत्पादों की आवश्यकता
महिलाओं की बढ़ती वित्तीय जागरूकता और आत्मनिर्भरता को देखते हुए, वित्तीय संस्थानों को उनकी जरूरतों के अनुरूप उत्पादों को डिजाइन करने की आवश्यकता है। महिलाओं के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए वित्तीय उत्पाद, जैसे कि कम ब्याज दर पर लोन, लचीली चुकौती योजनाएं, और व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम, उन्हें आर्थिक रूप से अधिक सशक्त बनाने में मदद कर सकते हैं।
महिलाओं की वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता
महिलाओं की वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार और वित्तीय संस्थानों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम, जो महिलाओं को बजट बनाने, बचत करने, और निवेश करने के बारे में शिक्षित करते हैं, उन्हें आर्थिक रूप से अधिक सक्षम बनाने में मदद कर सकते हैं।
निष्कर्ष
भारत में महिलाओं की वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। पिछले पांच वर्षों में महिलाओं द्वारा लिए गए लोन की संख्या में 22 फीसदी की सालाना दर से वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा न केवल महिलाओं की बढ़ती वित्तीय जागरूकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि महिलाएं अब आर्थिक रूप से अधिक सशक्त हो रही हैं।
हालांकि, अभी भी व्यवसायों के लिए लोन लेने वाली महिलाओं की संख्या कम है, लेकिन यह धीरे-धीरे बढ़ रही है। महिलाओं की वित्तीय साक्षरता और आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए सरकार और वित्तीय संस्थानों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। महिलाओं के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए वित्तीय उत्पाद और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम उन्हें आर्थिक रूप से अधिक सक्षम बनाने में मदद कर सकते हैं।
Women’s Day Special के इस खास मौके पर, यह जरूरी है कि हम महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाएं और उन्हें वित्तीय रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए प्रयास करें। महिलाओं की सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए फायदेमंद होगी।
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