Birdev Siddappa Biography in Hindi: भेड़ चराने वाले चरवाहे से UPSC टॉपर तक की प्रेरणादायक जीवनी

Birdev Siddappa Biography in Hindi

Birdev Siddappa Biography in Hindi: बिरदेव सिद्धप्पा धोणे की कहानी संघर्ष, साहस और सफलता की एक ऐसी मिसाल है जो लाखों युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देती है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के यमगे गाँव के इस होनहार युवक ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में ऑल इंडिया रैंक 551 हासिल करके इतिहास रच दिया। एक साधारण चरवाहा परिवार से ताल्लुक रखने वाले बिरदेव ने बिना किसी कोचिंग के, केवल स्वाध्याय और दृढ़ संकल्प के बल पर यह उपलब्धि हासिल की।

बिरदेव सिद्धप्पा धोणे का प्रारंभिक जीवन और परिवार

बिरदेव सिद्धप्पा धोणे का जन्म 15 अप्रैल 1998 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के यमगे गाँव में एक धनगर (चरवाहा) परिवार में हुआ था। उनके पिता सिद्धप्पा धोणे और माता बालव्वा धोणे एक साधारण किसान परिवार से हैं जो भेड़-बकरियाँ पालन का काम करते थे। बिरदेव का बचपन गरीबी और संघर्षों में बीता, लेकिन उनके माता-पिता ने हमेशा उनकी शिक्षा को प्राथमिकता दी।

  • बचपन का संघर्ष: बिरदेव ने अपने बचपन में भेड़-बकरियाँ चराने का काम किया और अक्सर पहाड़ियों पर जाते समय अपनी किताबें साथ ले जाते थे।
  • परिवार का सहयोग: उनके बड़े भाई भारतीय सेना में नायक के पद पर कार्यरत हैं, जिन्होंने बिरदेव को हमेशा प्रेरित किया।
  • प्रेरणा का स्रोत: एक बार जब बिरदेव का मोबाइल चोरी हो गया और पुलिस ने कोई मदद नहीं की, तो उन्होंने आईपीएस अधिकारी बनने का फैसला किया।

बिरदेव सिद्धप्पा की शिक्षा और शैक्षणिक यात्रा

बिरदेव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यमगे गाँव के जिला परिषद स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने हमेशा पढ़ाई में अव्वल रहने का प्रयास किया:

  • 10वीं और 12वीं: उन्होंने मुरगुड स्कूल से 10वीं में 96% और 12वीं में 89% अंक प्राप्त किए।
  • इंजीनियरिंग की पढ़ाई: उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (COEP) से सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की (2020 में पूरी हुई)।
  • नौकरी और त्यागपत्र: पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने भारतीय डाक विभाग में डाकिया की नौकरी की, लेकिन UPSC की तैयारी के लिए उन्होंने इसे छोड़ दिया।
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UPSC की तैयारी: तीन प्रयासों में मिली सफलता

बिरदेव ने तीन बार UPSC की परीक्षा दी, और अंततः तीसरे प्रयास में सफलता मिली:

  • पहला प्रयास (2022): प्रीलिम्स पास किया, लेकिन मेन्स में 30 अंकों से रह गए।
  • दूसरा प्रयास (2023): मेन्स तक पहुँचे, लेकिन सिर्फ 3 अंकों से चूक गए।
  • तीसरा प्रयास (2024): AIR 551 हासिल किया और IPS अधिकारी बनने का सपना पूरा किया।

बिरदेव सिद्धप्पा की तैयारी रणनीति

  1. स्वाध्याय पर भरोसा: उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली और ऑनलाइन स्टडी मटेरियलपुस्तकालय की किताबों पर निर्भर रहे।
  2. करंट अफेयर्स: रोजाना द हिंदू और प्रतियोगिता दर्पण पढ़ते थे।
  3. मॉक टेस्ट और रिवीजन: पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को हल किया और नियमित रिवीजन किया।
  4. समय प्रबंधन: भेड़ चराते समय भी पढ़ाई करते थे और रात में लंबे समय तक अध्ययन करते थे।

सफलता का पल: जब भेड़ चराते हुए मिली खबर

22 अप्रैल 2025 को जब UPSC का रिजल्ट आया, बिरदेव कर्नाटक के बेलगाम में भेड़ चरा रहे थे। उनके एक दोस्त ने फोन करके बताया कि वह AIR 551 के साथ पास हो गए हैं। यह खबर सुनकर पूरा गाँव खुशी से झूम उठा।

  • परिवार की प्रतिक्रिया: उनके पिता ने महाराष्ट्र की पारंपरिक फेंटा (साफा) पहनाकर उनका स्वागत किया।
  • राजनेताओं की बधाई: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने फोन करके उन्हें बधाई दी।
  • सोशल मीडिया पर वायरल: उनकी कहानी ने इंटरनेट पर तूफान ला दिया और लाखों युवाओं को प्रेरित किया।

बिरदेव सिद्धप्पा के विचार और सामाजिक दृष्टिकोण

बिरदेव ने अपने इंटरव्यू में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए:

  • पुलिस सुधार: “मैं एक ऐसा आईपीएस अधिकारी बनना चाहता हूँ जो आम लोगों की मदद करे, जैसा कि मेरे साथ नहीं हुआ था।”
  • शिक्षा का महत्व: “अगर मैं पढ़ सकता हूँ, तो कोई भी गरीब बच्चा पढ़कर सफल हो सकता है।”
  • ग्रामीण विकास: “मैं गाँव के बच्चों को शिक्षित करने और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने का काम करूँगा।”

निष्कर्ष: एक ऐसी कहानी जो लाखों को प्रेरित करेगी

बिरदेव सिद्धप्पा धोणे की जीवनी (Birdev Siddappa Biography in Hindi) न सिर्फ एक सफलता की कहानी है, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए एक आदर्श उदाहरण है जो मुश्किल हालातों में भी बड़े सपने देखते हैं। उन्होंने साबित किया कि “अगर इरादे मजबूत हों, तो भेड़ चराने वाला भी भारत का अफसर बन सकता है।”

अगर आप भी UPSC की तैयारी कर रहे हैं, तो बिरदेव की लगन, मेहनत और सकारात्मक सोच से सीख ले सकते हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि हार नहीं मानने वालों की कभी हार नहीं होती!

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